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क्या है ? पिछड़े वर्ग की परिभाषा

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          आरक्षण को लेकर सभी विपक्षी पार्टियां केंद्र सरकार को कटघरे मे खड़ा कर रहीं हैं। भारतीय जनता पार्टी पिछड़े वर्गों के राष्ट्रीय आयोग को सामाजिक एवं शैक्षणिक रूप से नया संवैधानिक दर्जा देने के लिए प्रतिबद्ध है। भाजपा अन्य पिछड़ा वर्ग के विस्तार को समर्थन दे रही है क्योंकि २०१४ लोकसभा चुनाव के उनके वादों में ये भी शामिल था। हालही में संपन्न हुए उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के परिणाम ने यह सिद्ध कर दिया की भाजपा का तीर निशाने पर लगा है। भाजपा यह लय बरकरार रखना चाहेगी क्योंकि उत्तर प्रदेश और बिहार मे उसका सीधा मुकाबला ऐसी क्षेत्रीय पार्टियों से है जिनका पिछड़ा वर्ग परंपरागत वोटर रहा है और वे अपना खोया अस्तित्व पाने के लिए उनके समर्थन पर आश्रित है।               दरसल केंद्र सरकार अपने वादों को पूरा करने के लिये पिछड़ी जातियों के आरक्षण की परिसीमा को बढ़ाना चाहती है। इसके लिए सरकार ओबीसी की नई परिभाषा गढ़ने की तैयारी में है। भारत के सविधान मे समाजिक एवं शैक्षणिक मामलों मे पिछड़ी जातियों को ओबीसी मे शामिल करने का प्राव...

शिक्षा का बाजारीकरण

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          आज समूचे देश भर में शिक्षा का ग्राफ तेजी से बढ़ रहा है इसी तेजी के साथ शिक्षा विभाग में बेईमानीं भी घुस रही है। पहले शिक्षा देने वाले अपने धंधे में बेईमानियां करते थे स्कूलों, कॉलेजों में अनुदान भी करते थे परंतु आज इसका उल्टा हो रहा है शिक्षा चाहे सरकारी हो या प्राइवेट दोनों में घूसखोरी चरम पर है।                     व्यापम घोटाला भी इसी की देन है। मध्य प्रदेश के व्यापम घोटाले में लगभग ६०० से अधिक मेडिकल छात्रों के प्रवेश पर सुप्रीम कोर्ट ने दाखिला रदद् कर दिया है । २००८ से २०१२ के बीच गैरकानूनी तरीके से प्रवेश पाये इन डॉक्टरों का कैरियर अब बर्बाद हो चुका है। इन छात्रों के प्रति सहानुभूति प्रकट करने की जरूरत नही है क्योंकि देश मे इस तरह के गैरकानूनी काम धड़ल्ले से हो रहे है जो छात्रों के भविष्य को गलत राह पर ले जा रहें हैं। और उन्हें सीखा रहे है कि शिक्षा में हर तरह का हेरफेर संभव है। शिक्षा पैसे और नकल का खेल है, प्रतिभा का मूल्यांकन नहीं। अगर इन्हीं छात्रों की तरह कुछ हजार-लाख छात्र-छात्राओं के कै...